Tuesday, February 28, 2012

खोज

अकेली थी ज़िन्दगी के सफ़र में......खुश थी |
चल रही थी जानी अनजानी राहों में....खुश थी |
रुक गयी तुम्हे देख के एक मोड़ में,
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अब तो खोज रही हूँ वो खोयी खुशियों को गलियों में |


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